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Sunday, April 3, 2011

चंद शेर

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स्वर्ग  और नर्क के संसार यहीं होते है ..
भगवान और शैतान के दीदार यहीं होते हैं..

मिलने गया था कल इमाँ से उसकी बस्ती में ,
देखा  कुछ लोग उसकी तस्वीर लिए रोते हैं..

हमारे सपनों की लड़ियों में स्वर्ण-महल ही नहीं
बस  इक आशियाने के अरमान हम पिरोते हैं..

किया था प्यार  कि ज़िंदगी को मुकाम मिल जाये,
है अंजाम ये कि अपने काँधों  पे   ज़ख्म ढोते हैं ...

ख़्वाहिश  उनसे मिलने की मिट जाती है देखने भर से,
ये दुनिया है  उनकी   ,  हम किस्मत पे  अपनी रोते हैं..

बनाते रस्ते तुम  कि सफ़र सभी का हो आसां,
क्यूँ  अधूरे सफ़र फिर इन रस्तों पे खत्म होते हैं...
...रजनीश (03.04.11)
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