जहां सवालों के हल में होते हैं ढेरों सवाल
और एक सवाल में मिल जाता है
किसी और सवाल का जवाब
न होते हैं एक और एक ग्यारह
न होते हैं एक और एक दो
यहाँ गणित के नियम तय नहीं होते
अपना अपना तजुर्बा ...
जैसे कुछ जोड़ा तो कुछ घट सा गया
जब कुछ छूटा तब कुछ पास निकला
जो दिल से बांटा वो बेहिसाब बढ़ा
जिसे सहेजा वो हर बार कम निकला
हिसाब जब जब लगा कर हमने देखा
सूद हमेशा असल से ज्यादा निकला
....रजनीश (31.10.11)