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Thursday, October 22, 2015

नवरात्रि और दशहरा



दशहरा

[1]

जल जाएगा रावण मिट जाएगा अंधेरा
अहंकार को जीत कर मनाओ दशहरा

[2]

इन्सानियत को थोड़ा बहलाने के लिए
एक झूठा भरोसा दिलाने के लिए
हर जगह बन रहे नकली रावण
दशहरे पर इस बरस भी जलाने के लिए

नवरात्रि 

[1]

शक्ति के नवरूप पूजते नौ दिन और नौ रात्रि
श्रद्धा संयम शान्ति लिए फिर आ गई है नवरात्रि

[2]
सहिष्णुता अहिंसा हृदय में उदारता
सामंजस्य सौहार्द्र व्यक्तित्व में सौम्यता
संवेदना निष्पक्षता आचरण में सत्यता
नव शक्ति हैं ये हमारी विशेषता



विजयादशमी की हार्दिक बधाई
..........रजनीश (22.10.2015)

Wednesday, October 24, 2012

रावण दहन

साल दर साल
हम करते हैं दहन
एक पुतले का
नाम दिया है जिसे रावण

लीला का मंच सजा
बना देते किसी को राम
जो अंत में करता है
रावण का काम तमाम

हर साल बढ़ती जाती
पुतले की ऊंचाई
जलाते हर साल
पर मिटती नहीं बुराई

पैदा हो जाता है
हर चिंगारी से एक रावण
क्यूँ है नाभि में अमृत अब भी
ढूंढो इसका कारण

दरअसल राम हैं अंदर
और है साथ में रावण
पर विभीषण नहीं बताता
अमरत्व का कारण

जब झांकोगे भीतर
और ढूंढोगे कारण
तब बंद होगी पुनरावृत्ति
और मर जाएगा रावण ...

रजनीश (24.10.2012)
विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ ...


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