दशहरा
[1]
जल जाएगा रावण मिट जाएगा अंधेरा
अहंकार को जीत कर मनाओ दशहरा
[2]
इन्सानियत को थोड़ा बहलाने के लिएएक झूठा भरोसा दिलाने के लिएहर जगह बन रहे नकली रावणदशहरे पर इस बरस भी जलाने के लिए
नवरात्रि
[1]
शक्ति के नवरूप पूजते नौ दिन और नौ रात्रि
श्रद्धा संयम शान्ति लिए फिर आ गई है नवरात्रि
[2]
सहिष्णुता अहिंसा हृदय में उदारता
सामंजस्य सौहार्द्र व्यक्तित्व में सौम्यता
संवेदना निष्पक्षता आचरण में सत्यता
नव शक्ति हैं ये हमारी विशेषता
विजयादशमी की हार्दिक बधाई
..........रजनीश (22.10.2015)
साल दर साल
हम करते हैं दहन
एक पुतले का
नाम दिया है जिसे रावण
लीला का मंच सजा
बना देते किसी को राम
जो अंत में करता है
रावण का काम तमाम
हर साल बढ़ती जाती
पुतले की ऊंचाई
जलाते हर साल
पर मिटती नहीं बुराई
पैदा हो जाता है
हर चिंगारी से एक रावण
क्यूँ है नाभि में अमृत अब भी
ढूंढो इसका कारण
दरअसल राम हैं अंदर
और है साथ में रावण
पर विभीषण नहीं बताता
अमरत्व का कारण
जब झांकोगे भीतर
और ढूंढोगे कारण
तब बंद होगी पुनरावृत्ति
और मर जाएगा रावण ...
रजनीश (24.10.2012)
विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ ...
पुनः पधारकर अनुगृहीत करें .....