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Saturday, May 14, 2011

मुस्कुराहट

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मैंने कहा  आपसे जनाब
थोड़ा तो मुस्कुराइए !

आप कहते हैं-
कल ही तो मुस्कुराहट  गिरवी
रख  चूल्हा जलाया है
कहीं और चले जाइए...

मैंने कहा-
मुस्कान कोई बैंक के लॉकर
में रखी चीज है
या कोई मेहनत से मिलती है
ये तो चंद मासपेशियों का खेल है
बस चेहरे पे खिलती है...

आप कहते है-
अब आपको क्या बताएं ?
हँसते थे हम भी कभी
नकली हंसी कैसे उगाएँ ?
अजी अब कैसे समझाएँ
टूटे हैं अंदर से कैसे मुस्कुराएँ ?

मैंने कहा ,जनाब !
सीधा सा है हिसाब !
रोने को बना लिया  आदत है
मत भूलिए तंदुरुस्ती नियामत है
दुनिया भर का दर्द
भीतर की हंसी रोक नहीं सकता
और जो एक बार हंसा
वो फिर रो नहीं सकता...

हँसोगे तो हंसाओगे
गर रोये तो रुलाओगे,
कुछ समझ नहीं आता
तो अपनी हालत पे हंसो
और हंसी तो समझो फंसी
तुम हँसोगे तो ज़िंदगी हँसेगी,
कल तक जो दूर  जा रही थी
वो ज़िंदगी तुम्हें बाहों मे मिलेगी ...
...रजनीश (12.05.11)

Sunday, February 6, 2011

आस

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एक दिन, चढ़ गया है..
एक पत्ता, झड़ गया है..
एक दोस्ती,  टूट गयी है..
एक डोर, छूट गयी है..
एक पता, गुम गया है..
एक रास्ता, रुक गया है..
एक रंग , धुल गया है..
एक बंधन, खुल गया है..

एक कमरा, खाली है..
एक क़रार, जाली है..
एक किस्मत, रूठी है..
एक मुस्कान, झूठी है..
एक रिश्ता, अज़ीब है..
एक दिल, गरीब है..
एक डगर, अनजानी है..
एक सौदा, बेमानी है..
एक रात , बहुत लंबी है..
एक बात , बहुत लंबी है..
...............
...............
एक मयखाना , वहाँ साक़ी है..
एक जाम , अभी बाकी है..
एक सपना, अधूरा है..
एक पन्ना,  कोरा है..
एक आस , अभी ज़िंदा है..
एक इंसान, शर्मिंदा है..
एक धड़कन, मचलती है..
एक ज़िंदगी, चलती है ..…..
………………..रजनीश (06.02.2011)
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