जिंदगी है मुश्किल 
या जिंदगी आसान 
कम से कम 
ये तय कर पाना 
नहीं  आसान 
जो करता हूँ कोशिश 
इसे आसान बनाने की
ये और मुश्किल 
होती चली जाती है
जिन लम्हों के  मुश्किल 
होने का होता है डर 
वही बन जाते हैं आसान 
जो एक के लिए मुश्किल 
वो दूजे के लिए आसान 
जिदंगी तो बस जिंदगी है
ना मुश्किल ना आसान 
ये मुश्किल और आसान का रिश्ता 
दरअसल दिलो-दिमाग  से
जोड़ रखा है मैंने 
वरना क्या मुश्किल 
और क्या आसान 
.........रजनीश  (09.07.17)
1 comment:
जिंदगी एक पहेली है और यह पहेली ऐसी कि इसका कोई हल आजतक किसी को नहीं मिला..कृष्ण भी गीता में कह गये, अर्जुन ! कर्म की गति बहुत गहन है, इसे कोई नहीं समझ सकता..
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