Showing posts with label
बसंत
.
Show all posts
Showing posts with label
बसंत
.
Show all posts
Tuesday, April 26, 2011
गुलमोहर और पलाश
›
रोज गुजरता हूँ इधर से वही रास्ता हर दिन जैसे एक चक्कर में घूमती जिंदगी, और मिलता है वही पलाश जो इतराता था कल तक अपने मदमस्त फूलों प...
12 comments:
Tuesday, February 22, 2011
बे-मौसम बरसात
›
दो-तीन दिनों से कर रहे थे इशारा , और कल गरजे सुबह-सुबह जैसे मुनादी कर रहे हों , कि हम आ गए हैं और बस शुरू हो गए बरसना ... कल दिन भर बादल ...
6 comments:
Saturday, February 12, 2011
मिल गया बसंत...
›
कल पढ़ा था अखबार में , बसंत आ गया , कुछ बासन्ती पंक्तियों के साथ , छपी थी एक तस्वीर फूलों की, पर खुशबू नहीं मिली उसमें ... मैंने कोशिश...
5 comments:
›
Home
View web version