रजनीश का ब्लॉग
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Tuesday, April 26, 2011

गुलमोहर और पलाश

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रोज गुजरता हूँ  इधर से वही रास्ता  हर दिन जैसे एक चक्कर में घूमती जिंदगी, और मिलता है वही पलाश  जो इतराता था कल तक अपने मदमस्त फूलों प...
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Tuesday, February 22, 2011

बे-मौसम बरसात

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दो-तीन दिनों से कर रहे थे इशारा , और कल गरजे सुबह-सुबह जैसे मुनादी कर रहे हों , कि हम आ गए हैं और बस शुरू हो गए बरसना ... कल दिन भर बादल ...
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Saturday, February 12, 2011

मिल गया बसंत...

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कल पढ़ा था अखबार में , बसंत आ गया , कुछ बासन्ती पंक्तियों के साथ , छपी थी एक तस्वीर फूलों  की, पर खुशबू नहीं मिली उसमें ... मैंने कोशिश...
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रजनीश तिवारी
इलेक्ट्रिकल इंजीनियर....लिखता हूँ ...फोटोग्राफी भी .... ब्लॉग के माध्यम से मेरी कविताएं पहुँचती हैं आप तक ...
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