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Tuesday, March 29, 2011
हमराज़
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तुम चाहते हो सब कुछ कह दूँ तुम्हें, एक बार फिर दिल खोल कर रख दूँ उन कुछ पलों को मेरे अपने हो जाओगे, मैं तुम्हें थोड़ा और मालूम हो जाऊं...
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Friday, February 11, 2011
दोस्त
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वो कुछ कहता नहीं, और मैं सुन लेता हूँ, क्योंकि उसकी बातें मेरे पास ही रखी हैं, उसकी आवाज़ में झाँककर कई बार अपने चेहरे पर चढ़ी धूल साफ ...
6 comments:
Tuesday, November 16, 2010
दोस्त
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rमन , मेरे दोस्त , शायद सबसे करीबी कितनी निकटता है तुममें और मुझमें लंगोटिया यार हो तुम्हें कष्ट हुआ तो झलकता है मेरे चेहरे पर मेरी खि...
1 comment:
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