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Sunday, April 21, 2013
हर शाम तेरे नाम
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तेरी पायल की छन छन से खिल जाती हर शाम तेरी ज़ुल्फों के साये में रंगीन हो जाती हर शाम वक़्त भी करता दुआ कुछ पल थम जाने की तेरे...
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Wednesday, March 13, 2013
झूठे सपनों के पार
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है सूरज निकल पूरब से जाता हर रोज़ पश्चिम की ओर पानी लिए नदियां हर पल हैं मिलती रहती सागर में बादल बरस बरस कर करते र...
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Monday, June 13, 2011
एक छुट्टी का दिन
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कुछ यादों की सिलवटें कुछ उनींदें सपनों की उलझी लटें कुछ गुफ़्तगू पुराने होते घर से थोड़ा टीवी के साथ करवटें कुछ बोरियत भरे लम्हों से ल...
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Saturday, June 4, 2011
मेरा पता
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सुबह-सुबह मॉर्निंग वॉक पर कभी दिख जाती है एक शाम और मैं मिलता हूँ खोया हुआ एक भीड़ में और अक्सर दिखते हैं रास्ते में पड़े ऑफिस के क...
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