रजनीश का ब्लॉग
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Sunday, February 19, 2012

दूर दर्शन

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कुछ आंसू जो कैद थे  एक रील में  सिसकियों के साथ  तरंगों में बह जाते हैं   जब चलती है वो रील  सारे लम्हे संग आंसुओं के  हवा में हो जाते हैं ...
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Sunday, December 11, 2011

चंद्र ग्रहण

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कुछ यूं  हुआ था चाँद के साथ कि चलते चलते  कुछ पल चाँद खो गया था, पूनम की रात  चाँद के बिना  सेज पर इंतज़ार करती रही  दुल्हन की तरह  कुछ पल...
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रजनीश तिवारी
इलेक्ट्रिकल इंजीनियर....लिखता हूँ ...फोटोग्राफी भी .... ब्लॉग के माध्यम से मेरी कविताएं पहुँचती हैं आप तक ...
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