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Sunday, January 31, 2016
सवाल ही सवाल
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गली-गली शहर-शहर ये हर कहीं का हाल है उलझनों में कस रहे हर किसी को डस रहे झकझोरते खड़े हुए सवाल ही सवाल हैं किसी के लिए आस्था किसी के...
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Friday, May 3, 2013
संजय जरूरी है ...
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दर्पण झूठ ना बोले , पर दर्पण सच भी तो ना बोले दिखाता है दर्पण , सच का उतना ही छोर जो हो दर्पण के सामने , और हो दर्पण की ओर पर दाए...
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Sunday, April 15, 2012
कुछ शेर और थोड़े सच
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इस जहाँ में किसी पर भरोसा नहीं होता पर यहाँ पहरेदारों पर पहरा नहीं होता यूं तो दुनिया भरी है चमक-ओ-दमक से पर हर चमकता पत्थर हीरा नहीं ...
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Tuesday, June 7, 2011
परतें सच की
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क्या है सच जो मेरे पास या जो तुम्हारे पास तुम्हारा सच मुझे धुंधला दिखता है मेरा सच तुम्हें सारे सच चितकबरे हैं शायद कहीं काले कहीं सफ...
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