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पसीना
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Wednesday, May 1, 2013
बहता हुआ पसीना
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( साल भर पुरानी कविता पुन: पोस्ट कर रहा हूँ ) बहता है पसीना तब सिंचती है धरती जहां फूटते है अंकुर और फसल आती है ...
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Tuesday, May 1, 2012
बहता पसीना
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बहता है पसीना तब सिंचती है धरती जहां फूटते है अंकुर और फसल आती है बहता है पसीना तब बनता है ताज जिसे...
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Thursday, June 30, 2011
चंद शेर थोड़ा अफसोस
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उनकी हर अदा पे मुस्कुराते रहे हम चुभता है दिल में ये कहना न आया मरते मरते आदत मरने की हो गई करते हैं कोशिश पर जीना न आया कब हुए वो ...
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Tuesday, May 31, 2011
कार
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चलते-चलते थक कर किनारे सड़क के रुकी इक कार से टिककर कुछ सांसें लेता हूँ माथे पर उभर आई हैं बूंदें पसीने की... पोंछते-पोंछते लगता है ...
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