आज एक साल का हो गया मेरा ब्लॉग ...
इस अवसर पर पेश है एक नई कविता ...
कविता बनी है मेरी पुरानी कविताओं के शीर्षकों से ...
आप इस ब्लॉग पर आए..हृदय से धन्यवाद .....
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अब क्या दूँ अपना परिचय
मैं हूँ मेरी कविता में
मेरी आवाज़ है मेरी कविता
मेरी कश्मकश का एक चित्र है
मेरे अनुभव हैं मेरा व्याकरण और शब्दकोश
लाइनों में साँस लेते एहसास
और कुछ लम्हे बन गए तवारीख़
बस खुद को ही लिखा हो ऐसा नहीं
जो थोड़ी बहुत कोशिश की
इस रिश्तों की दुनिया को समझने की
जो मुश्किलें और व्यथा देखता हूँ
उसे भी समेटा है शब्दों में
बनाया है उनका पोर्ट्रेट
ज़िंदगी एक खेल है चाहत का
ज़िंदगी एक सपना है
ज़िंदगी का अफ़साना जब
कलम से चलकर पन्ने पर पहुंचा
तो पन्ने की छाती पर उभरे चंद शेर
कुछ प्रश्न लिए हुए सीने में
मैं जीता हूँ एक सड़क और सफर
मंजिल की ओर चलते
मिलता और खोता रहा रास्ते का सच
कहीं कोई मिला अपना सा
कभी हुआ दृष्टिभ्रम
कहीं हुई एक बादल से मुलाक़ात
कभी रास्ते में मिल गया बसंत
सुनी गुफ़्तगू गुलमोहर और पलाश की
कभी सूरज की गर्मी में उठाई कलम
कभी भीगे सब पन्ने बेमौसम बरसात में
कभी अपनी आँखों से देखा
सपना एक जमीन का
लिखते लिखते
कभी महसूस किया
धरती का कंपन
कई बार हुई रात से बात
कभी कोशिश की पढ़ने की
समय की भाषा हस्तरेखा में
ढूंढा जब भविष्यफल
तो कविता बनी एक खोज-
हाथ की उस लकीर की
जो कर देती है सच एक सपना
और जिसमें चाहत को मिलता है
एक खूबसूरत मुक़ाम
कभी वो लिखा
जो तुमने कहा था ...
कभी आया एक खालीपन
जड़त्व एक भावना शून्यता
सोचा लिखूँ तो आखिर क्यूँ
और पन्ने पर मिली एक अलिखित कविता
कही सपने की बात
कभी गाए खुशी के गीत
कई बार हुई तकलीफ़ क्यूंकि
कुछ एहसास ऐसे होते हैं
जिनकी बात ही पूरी नहीं होती कभी
कभी दिल किया
छोड़ सारी आस और कर कैद अपने आंसू
जी लें उन्मुक्तता से
थोड़ा सा रूमानी हुआ जाए
हों जाएँ कुछ हल्के -फुल्के से
आखिर कलम भी चाहती है बदलाव
अपरिवर्तन उदास कर देता है
खैर ,समय चलता रहा
और साथ में सफर भी
होली के रंग में भीगे
होली के बाद मिली
दीपावाली की शुभकामनाएँ
जारी है सफर मिल रहे हैं दोस्त
बनते गए नए-नए हमराज़
एक तस्वीर बन रही है
न थकती है कलम
न खत्म हुआ परिचय
कुछ बातें पुरानी
और नई कहानी
कुछ सदाबहार यादें
फ़िर एक कविता
फ़िर नया शीर्षक
बंद नहीं हुआ खेल साँप-सीढ़ी का
पन्ने दर पन्ने लाइन दर लाइन
जारी है मेरा बयान
एक ही प्रार्थना
इस वृतांत में बस खुशबूदार
मुस्कुराते शब्द ही हों ....
...रजनीश ( 07.11.2011)

आप इस ब्लॉग पर आए
यहाँ अपना कुछ समय गुजारा
मेरी कविताएं पढ़ी ( हाँ ..चित्र भी मेरे अपने हैं !)
प्रेरणा दायक टिप्पणियाँ लिखीं...
मेरे लिए बहुत ही सुखद अनुभव है ये ..
इस प्रेम और उत्साहवर्धन के लिए
आप सब का हृदय से आभारी हूँ
मेरा लिखना जारी है ...
इस ब्लॉग पर जरूर आएँ ..
आपका सदैव स्वागत है ...
धन्यवाद ! हार्दिक शुभकामनाएँ !!