रोज़ इनसे होते हैं दो-चार
सुनते किस्से इनके हजार
खबरों से हैं गरम बाज़ार
बड़ा फेमस है भ्रष्टाचार
किसी को मिली बेल
कोई गया जेल
किसी के नाम एफ़आईआर
कोई हुआ फ़रार
कोई थोड़ा कम
कोई थोड़ा ज्यादा
आपस में कोई भेद नहीं
किसी की शर्ट सफ़ेद नहीं
जो हवा में घुला हो
उसे मारोगे कैसे
जो खून में मिला हो
उसे पछाड़ोगे कैसे
डंडे चलाने से ये नहीं भागेगा
तुम इसे रोकोगे ये तुम्हें काटेगा
एक छत से भगाओगे दूसरी पर कूदेगा
छूट जायेगा यार इसका साथ ना छूटेगा
अभावों के घर में पलता रहा ये
जरूरतों के साथ ही बढ़ता रहा ये
दम घोंटना हो इसका
तो गला लालच का दबाओ
पास हो जितनी चादर
उतना पैर फैलाओ
छोड़ खोज आसां रस्तों की
राह मिली जो उसमें कदम बढ़ाओ ...
....रजनीश ( 29 .11. 2011)