हम करते हैं दहन
एक पुतले का
नाम दिया है जिसे रावण
लीला का मंच सजा
बना देते किसी को राम
जो अंत में करता है
रावण का काम तमाम
हर साल बढ़ती जाती
पुतले की ऊंचाई
जलाते हर साल
पर मिटती नहीं बुराई
पैदा हो जाता है
हर चिंगारी से एक रावण
क्यूँ है नाभि में अमृत अब भी
ढूंढो इसका कारण
दरअसल राम हैं अंदर
और है साथ में रावण
पर विभीषण नहीं बताता
अमरत्व का कारण
जब झांकोगे भीतर
और ढूंढोगे कारण
तब बंद होगी पुनरावृत्ति
और मर जाएगा रावण ...
रजनीश (24.10.2012)
विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ ...