चेहरों की किताब
हर चेहरे में अपना चेहरा
अपने चेहरे में हर चेहरा
मिलता हूँ अपनों से
किताब के पन्नों में
जो उभरते हैं एक स्क्रीन पर
जो कभी हुआ करते थे रु-ब-रु
थाम हाथ जिन्हें महसूस कर सकता था
अब छू तो नहीं सकता
पर देख सकता हूँ
और कभी-कभी तो पहले से भी ज्यादा
चेहरों की ये किताब हरदम साथ रहती है
पन्नों पर बहुत से ऐसे भी चेहरे आए
जो बस एक धुंधली सी छाया थे
अब यादों ने फिर से पानी दिया
और चेहरों के अंदर से
फिर निकल आया कोई अपना
जुड़ जाती हैं टूटी कड़ियाँ
फिर हाथ आ जाता है वो छूटा सिरा
वक़्त लौट आता है
हम जो ढूंढते हैं वो भीतर ही होता है
किताब के चेहरे दरअसल
रहते हैं दिल में
फिर कोई मुखातिब हो या
दूर बैठा कहीं से
बांटता हो अपनी यादें
अपनी तस्वीरें अपना मन
और सुनता हो बातें करता हो
देखता हो और जुड़ा रहता हो
फिर एहसास नज़दीकियों के
मोहताज नहीं रह जाते
किताब एक बैठक बन जाती है
फासला कहाँ रह जाता है ?
अगर किताब के चेहरे असली हैं
तो आभासी कुछ भी नहीं
साथ के लिए क्या ज़रूरी कि हाथ में हो हाथ
कोई बहुत दूर का भी पास चला आता है
गम नहीं कि बहुत दूर मेरे घर से तुम
क्यूंकि हिस्सा दिल का कभी दूर नहीं जाता है ...
....रजनीश ( 06.11.2011)
15 comments:
ज़बरदस्त भावों से लबरेज़.
गम नहीं कि बहुत दूर मेरे घर से तुम
क्यूंकि हिस्सा दिल का कभी दूर नहीं जाता है ...khubsurat bhaav.....
फेसबुक के पन्नों के पीछे न जाने कितने चेहरे छिपे रहते हैं।
क्यूंकि हिस्सा दिल का कभी दूर नहीं जाता.
सुंदर भावाभिव्यक्तियाँ. चेहरे की किताब वांचना बहुत पसंद आया.
गम नहीं कि बहुत दूर मेरे घर से तुम
क्यूंकि हिस्सा दिल का कभी दूर नहीं जाता है ...
kya kammal ka likhe hain.......
बहुत खूब सर!
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कल 07/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
bahut hi achchi lagi......
saargarbhit rachna....
सुन्दर भाव!
सुन्दर रचना... वाह!!
सादर बधाई....
एक अच्छी और गहन रचना. की प्रस्तुति के लिए धन्यवाद । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
बहुत सुन्दर रचना..
खूबसूरत रचना .
सुंदर रचना फेश बुक की बढिया पोस्ट ..बधाई मेरे नए पोस्ट में स्वागत है ...
गहन भावों को समेटे एक सुंदर रचना !
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