उनको हमसे नफ़रत सही , पर प्यार हम करते रहे
वक़्त की ख़िदमत में , अक्ल-ओ-दिल से लिए फैसले
और किस्मत के नाम , हर अंजाम हम करते रहे
रिश्ता निभाने खुद को भुला देने से था परहेज़ कहाँ
बस रिश्ता बनाने का जतन हम करते रहे
बसा जो दिल में था उसे क्या भूला क्या याद किया
बस खोए हुए दिल की तलाश हम करते रहे
क्या कहें क्या अफसाना क्या मंज़िल क्या ठिकाना
बस एक सफ़र की गुजारिश हम करते रहे
............रजनीश (24.01.15)
3 comments:
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति। वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
बहुत सुन्दर रचना
Bahut Umda
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