मैं तो चलता जाता हूँ
समय की धुन में
समय की सुनता
आगे बढ़ता जाता हूँ
मैं तो चलता जाता हूँ
कहाँ से चला पता नहीं
कहाँ जा रहा पता नहीं
कहाँ हमसफर पता नहीं
कहाँ है रास्ता पता नहीं
फिर भी चलता जाता हूँ
आशाओं की माला बुनता
आगे बढ़ता जाता हूँ
मैं तो चलता जाता हूँ
क्या है सच ये पता नहीं
क्या झूठ है पता नहीं
क्या सही था पता नही
क्या गलत था पता नहीं
फिर भी चलता जाता हूँ
भीतर की आवाज मैं सुनता
आगे बढ़ता जाता हूँ
मैं तो चलता जाता हूँ
क्या है धोखा पता नहीं
कोई खोजे मौका पता नहीं
कौन है अपना पता नहीं
कौन सहारा पता नही
फिर भी चलता जाता हूँ
ढाई आखर प्रेम के पढ़ता
आगे बढ़ता जाता हूँ
मैं तो चलता जाता हूँ
मैं तो चलता जाता हूँ
5 comments:
चरैवेति चरैवेति...एक न एक दिन मंजिल मिल ही जाएगी..सुंदर रचना !
सुन्दर रचना
सुन्दर शब्द रचना
बहूत ही सुन्दर.......
बहूत ही सुन्दर.......
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