टूटता है दिल तो कोई आवाज़ नहीं होती
सुनना चाहो तो जरूरी आवाज़ नहीं होती
दौलत को दौलत चाहिए शोहरत को शोहरत
मोहब्बत कभी मोहब्बत की मोहताज नहीं होती
घोंप दे कोई खंजर आग में झोंक दे कोई
मोहब्बत तो मोहब्बत है नाराज नहीं होती
यूं तो हैं हकीमखाने शहर की गलियों में कई
पर दवा ही हर दर्द का ईलाज नहीं होती
यूं तो चलते हैं सब जुगत लगाते हैं सभी
पहुंच भी जाते गर किस्मत दगाबाज नहीं होती
ऐ किस्मत हर किसी से मत किया कर मजाक
हर शख्सियत मेरी तरह खुशमिजाज नहीं होती
इक और सितम उठाने,पीने नया दर्द कोई
हाजिर हो जाते गर तबीयत नासाज नहीं होती
.....रजनीश (20.03.18)
1 comment:
वाह ! बेहतरीन गजल
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