सूरज अब भी छुपा छुपा सा
बादल हैं अभी
पर भूमिका अपनी अदा कर
अब बारिश थम गई है
बादल हैं अभी
पर भूमिका अपनी अदा कर
अब बारिश थम गई है
कहीं महीनों से इंतज़ार था
भिगाया भी बारिश ने
पर कुछ रह सा गया
पूरा भीगा नहीं कोई
बादल हैं अभी
पर प्यासा छोड़ कर
अब बारिश थम गई है
कहीं होती रही महीनों
बहा ले गई सब कुछ
थमने का था इंतजार
बारिश होती रही
बादल हैं अभी
पर सब कुछ बहाकर
अब बारिश थम गई है
किसी के हिस्से
उतनी ही आई
जितना उसने चाहा
बादल हैं अभी
पर थोड़ा डराकर
अब बारिश थम गई है
.....रजनीश (21.10 19)
3 comments:
बहुत सुंदर सार्थक प्रस्तुति।
यथार्थ के साथ।
लाजवाब
बहुत सुंदर सृजन
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