गिरता पानी
बहती नदिया
ओढी धरती
हरी चदरिया
आया सावन
गरजे बदरिया
चमके बिजुरी
बैरी सांवरिया
भीगा आंगन
भीगी गलियां
पड़ गये झूले
नाचे गुजरिया
छुप गया सूरज
घिर आए बादल
खो गया चंदा
गुमी चंदनिया
मौसम भीगा
भीगा तनमन
हर दिल बहका
ले कौन खबरिया
गिरता पानी
बहती नदिया
ओढी धरती
हरी चदरिया
..........रजनीश (14.07.17)
6 comments:
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "प्यार का मोड़ और गूगल मॅप“ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार
सुन्दर....
आया सावन झूम के..बरसी कविता..
धन्यवाद
धन्यवाद
धन्यवाद
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