Friday, July 14, 2017

बरसात

गिरता पानी
बहती नदिया
ओढी धरती
हरी चदरिया

आया सावन
गरजे बदरिया
चमके बिजुरी
बैरी सांवरिया

भीगा आंगन
भीगी गलियां
पड़ गये झूले
नाचे गुजरिया

छुप गया सूरज
घिर आए बादल
खो गया चंदा
गुमी चंदनिया

मौसम भीगा
भीगा तनमन
हर दिल बहका
ले कौन खबरिया

गिरता पानी
बहती नदिया
ओढी धरती
हरी चदरिया
..........रजनीश (14.07.17)

6 comments:

ब्लॉग बुलेटिन said...

ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "प्यार का मोड़ और गूगल मॅप“ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार

Sudha Devrani said...

सुन्दर....

Anita said...

आया सावन झूम के..बरसी कविता..

रजनीश तिवारी said...

धन्यवाद

रजनीश तिवारी said...

धन्यवाद

रजनीश तिवारी said...

धन्यवाद

पुनः पधारकर अनुगृहीत करें .....