अच्छा क्या है 
बुरा क्या है 
कुछ अच्छा कभी-कभीअच्छा नहीं  
कुछ बुरा कभी-कभी नहीं बुरा
किसे कहूं अच्छा 
किसे कहूं बुरा 
जो मेरे लिए अच्छा 
वो तुम्हारे लिए बुरा
जो तुम्हारे लिए अच्छा 
वो मेरे लिए बुरा 
जैसे जैसे 
पैमाने बदलते हैं 
वैसे वैसे 
अच्छे-बुरे के 
मायने बदलते हैं 
फिर अच्छा क्या है 
फिर बुरा क्या है 
ये सवाल , सवाल ही रहेगा
जब तक फैसला
 तुम्हारा होगा या मेरा 
 जवाब मिलेगा 
 जब फैसला 
 ना तुम्हारा ना मेरा 
 जब फैसला 
 इंसानियत करेगी 
 क्यूंकि इंसानियत से बड़ा 
 कुछ भी नहीं 
बुरा वहां 
जहां इंसानियत मर जाए
बुरा वहीं 
जहां इंसानियत हार जाए
अच्छी है वो बात 
अच्छी है वो चीज
जिसमें कोई भी हारे
 पर हो इंसानियत की जीत
.....रजनीश (२६.१०.२०२०, सोमवार)
 
 
   
4 comments:
बहुत सुन्दर
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 27 अक्टूबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जैसे जैसे
पैमाने बदलते हैं
वैसे वैसे
अच्छे-बुरे के
मायने बदलते हैं
फिर अच्छा क्या है
फिर बुरा क्या है
ये सवाल , सवाल ही रहेगा
जब तक फैसला
तुम्हारा होगा या मेरा
जवाब मिलेगा
जब फैसला
ना तुम्हारा ना मेरा ..वाह!बहुत ही सुंदर सृजन।
वाह
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