Sunday, December 16, 2012

इक साल

















बस जाने वाला है इक साल
बस आने वाला है इक साल

चढ़ गई एक और परत
वक़्त की हर तरफ़
कुछ सूख गए पेड़ों और
कुछ नई लटकती बेलों में
बस कुछ खट्टी मीठी यादें
बाकी सब , पहले जैसा ही  हाल


बस जाने वाला है इक साल
बस आने वाला है इक साल


एक बारिश सुकून की
धो गई कुछ ज़ख़्म इस बरस
कुछ अरमान ठिठुरते रहे
कड़कड़ाती ठंड में सहमे
चढ़ते उतरते रहे मौसम के रंग
जवाबों में फिर मिले कुछ सवाल


बस जाने वाला है इक साल
बस आने वाला है इक साल

....रजनीश (16.12.2012)

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