Saturday, March 24, 2018

थोड़े की जरूरत



कैसे जिएं वो रिश्ता जिसमें थोड़ा प्यार ना हो
ना हो इन्कार की सूरत पर थोड़ा इकरार ना हो

आँधियाँ ही तय करेंगी उस नाव का किनारा
फँसी हो मझधार में पर जिसमें पतवार ना हो

ना बहारों की चाहत  ना महलों की ख्वाहिश
बस साँसें चलती रहे और जीना दुश्वार ना हो

गर आसाँ हो रास्ता तो मंजिल मजा नहीं देती
वो मोहब्बत भी क्या  जिसमें इन्तजार ना हो

घिर चाहतों , गुरूर , खुदगर्जी में घुटता दम
ऐसा घर बनाएँ जिसमें कोई दीवार ना हो

......रजनीश (24.03.18)

Tuesday, March 20, 2018

आवाज़


टूटता है दिल तो कोई आवाज़ नहीं होती
सुनना चाहो तो जरूरी आवाज़ नहीं होती

दौलत को दौलत चाहिए शोहरत को शोहरत
मोहब्बत कभी मोहब्बत की मोहताज नहीं होती

घोंप दे कोई खंजर आग में झोंक दे  कोई
मोहब्बत तो मोहब्बत है नाराज नहीं होती

यूं तो हैं हकीमखाने शहर की गलियों में कई
पर दवा ही हर दर्द का ईलाज नहीं होती

यूं तो चलते हैं सब  जुगत लगाते हैं सभी
पहुंच भी जाते गर किस्मत दगाबाज नहीं होती

ऐ किस्मत हर किसी से मत किया कर मजाक
हर शख्सियत मेरी तरह खुशमिजाज नहीं होती

इक और  सितम उठाने,पीने नया दर्द कोई
हाजिर हो जाते गर तबीयत नासाज नहीं होती

.....रजनीश (20.03.18)
पुनः पधारकर अनुगृहीत करें .....