Tuesday, May 21, 2013

एक पल की दास्ताँ

एक पल
वैसा ही था
जैसे और भी पल थे
पर वो था बिलकुल काला
बाकी श्वेत धवल थे

उस पल का चेहरा
कितना घिनौना
कितना वीभत्स
कितना डरावना
न सुनी किसी ने
उस पल की आहट
न आया  नज़र
घात लगाए कतार में
ना भाँप सका
कोई आता हुआ संकट

पल छुपा रहा
फिर फट पड़ा
एक भारी पल
धमाके  संग गिरा
शोलों में बिखर
फट गया पल
कई ज़िंदगियों के
ख़त्म हुए पल

उस एक पल ने क्रूर होकर
कुछ यूं कर दिया तमाशा
हो गए सब पल अशांत
बदल गई पलों की भाषा
खो गई सब  मुस्कुराहटें
ख़त्म हो गईं पलों की आशा

क्यूँ आया था
वो पल छुपकर
पलों की खुशनुमा किताब में
काला पन्ना क्यूँ जोड़ गया
क्यूँ किया बदरंग उसने
क्यूँ बिगाड़ी तस्वीर सुंदर
पलों का संगीत मधुर
वो  बेसुरा क्यूँ कर गया

उस विनाशकारी पल का
एक टुकड़ा सिसकता मिला
कहा मैं था और पलों जैसा
मुझे संहार से क्या मिला
मुझे भ्रमित किया किसीने
आँखों पर पट्टी थी बांधी जिसने

किसने चढ़ाया था उस पर
विध्वंस का दुष्ट आवरण
किसने भर दिया उस पल में
आतंक का घातक जहर
अपने जैसे पलों का उसे
किसने बना दिया  दुश्मन

था पल के टुकड़े का जवाब
कैसे भूल सकूँगा जनाब
सौंपते खंजर मुझे वो
तुम ही थे पहने नकाब

हम कहते खुद को इंसान
और हैं इंसानियत के दुश्मन
न हम अपना खून पहचानते
न सुनते इंसानियत का क्रंदन

मिटा दो आतंक के साये
इंसानियत को आबाद कर दो
जी सकें खुल कर सभी
इन पलों को आज़ाद कर दो

.......... रजनीश (21.05.2013) 
21st May : Anti Terrorism Day पर विशेष 
It was on this day in 1991 that former Prime Minister 
Rajiv Gandhi was assassinated. 
The objective behind the observance of Anti-Terrorism Day 
is to wean away the people from terrorism and violence.

5 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

कलंक समेटे वह पल।

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बहुत सुंदर उम्दा प्रस्तुति,,

Recent post: जनता सबक सिखायेगी...

Yashwant R. B. Mathur said...

आपने लिखा....हमने पढ़ा
और लोग भी पढ़ें;
इसलिए कल 26/05/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
धन्यवाद!

Onkar said...

आतंकवाद पर सुन्दर रचना

रचना दीक्षित said...

यथार्थ की तस्वीर. सुंदर प्रस्तुति.

पुनः पधारकर अनुगृहीत करें .....