Thursday, June 20, 2013

ये तय नहीं ...


तय है कि, धरती का सूरज
निकले है पूरब से
पर मेरा भी सूरज, पूरब से निकले
ये तय नहीं....

तय है कि, रात के बाद
आती है एक सुबह
पर हर रात की , एक सुबह हो,
ये तय नहीं....

तय है कि, पानी भाप होकर
बन जाता है बादल
पर उमड़-घुमड़ कर यहीं आ बरसे  
ये तय नहीं....

तय है कि, बिन आँखों के
नज़ारा दिख नहीं सकता
पर आंखों से सब दिख जाएगा
ये तय नहीं ....

तय है कि, ज़िंदगी पूरी हो
तो आ जाती है मौत,
पर मौत से पहले मौत ही ना हो
ये तय नहीं ....

तय है कि, ज़िंदगी पूरी हो
तो आ जाती है मौत,
पर मौत होने से कोई मर ही जाए
ये तय नहीं ....

तय है कि, मेहनत का फल
मीठा होता है
पर हर मेहनत का फल निकले
ये तय नहीं...

ये तय है कि, प्यार भरी हर अदा
खूबसूरत होती है
पर खूबसूरत अदा प्यार ही होगी  

ये तय नहीं ...
...........रजनीश (20.06.2013)

11 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

विद्रोही, विरागी जीवनी।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

तय होते हुये भी बहुत कुछ तय नहीं होता ... बहुत सुंदर और गहन रचना

Jyoti Mishra said...

loved the way you pointed out inherent uncertainty that lies all around..

Beautifully written !!

Jyoti Mishra said...

loved the way you pointed out inherent uncertainty that lies all around..

Beautifully written !!

ANULATA RAJ NAIR said...

कुछ तय नहीं है....
जीवन हर दिन नए मोड़ लिए आता है..
सुन्दर रचना..

अनु

रचना दीक्षित said...

मेहनत का फल मिले यह जरुरी नहीं पर इसलिए मेहनत करना छोड़ देना भी उचित नहीं.

सुंदर रचना.

Onkar said...

वाह,क्या सटीक बात कही है

विभूति" said...

कोमल भावो की और मर्मस्पर्शी.. अभिवयक्ति .....

Madan Mohan Saxena said...

बहुत सुंदर, कमाल की भावाव्यक्ति

Dr. Shorya said...

जीवन में सब कुछ तय होकर भी, कुछ भी तय नही , बहुत सुंदर, आभार ,यहाँ भी पधारे
http://shoryamalik.blogspot.in/2013/04/blog-post_28.html

रश्मि प्रभा... said...

http://kuchmerinazarse.blogspot.in/2013/06/4.html

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