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Friday, November 13, 2015
त्यौहारों के मौसम में
[1] inflation
त्यौहारों के मौसम में पंचतारा रेसिपी बेमिसाल सरसों तेल में प्याज के तड़के वाली अरहर दाल
[2] Election
किसी को लगा चूना, कोई गया चुना डूबी कहीं नैया और पार कहीं नाव बिहारी या बाहरी , बहार या बाहर छोड़ो भी ये सब,अब हो गया चुनाव
[3] Diwali
नकली मिठाई हुए महंगे पटाखे क्या मनेगी दिवाली सूखे दिये जला के
[4] Diwali
खूब की थी रोशनी फिर बस मकां रह गया
खूब चले थे पटाखे अब सिर्फ़ धुआं रह गया
[5] World Internet Day 29th Octber
अंतर्जाल का दुनिया भर में फैला मायाजाल
कुछ ही पलों में नेट बिना होता हाल बेहाल
[6] World Thrift Day 30th october
बचपन की गुल्लक है साथ अब भी सिक्के और यादें भरा इक खिलौना जतन से इसी के सीखा था मैंने बचाना बढ़ाना और सपने संजोना
[7] Run for Unity 31st October
आज देश के लिए दौड़ें साथ वैमनस्य का छोड़ें ना भूलें सदभावना सहिष्णुता दिल से दिल को भी जोड़ें
..रजनीश (13.11.15)
Tuesday, April 15, 2014
चुनाव का त्यौहार
पाँच साल में एक बार आता ये त्यौहार
चुने हुए चंद लोगो की बनती नई सरकार
हर नेता बरगलाए जनता पर डाले डोरे
होता आया हर बार वादे निकलते कोरे
किसको दे दें वोट किसका समर्थन छोड़े
जनता हुई परेशान दीवारों
से सर फोड़े
मजबूती-कमजोरी में पिस गई जनता सारी
महंगाई मुंह फाड़े जनता भ्रष्टाचार की मारी
जनता है कनफ्यूज़ रस्ता कोई ढूंढ न पाये
नेता चीखें “बरबादी” हल कोई बता न पाये
सत्ता का है खेल, मकसद है कुर्सी पाना
नहीं बदलना और वोटर को उल्लू बनाना
मत देकर भेजो सही, गलत को मत ना देना
‘मत’ देना ज़िम्मेदारी, मौका मत जाने देना
.........रजनीश (15.04.14)
Sunday, January 8, 2012
शुरू हुआ एक साल
शुरू हुआ एक साल नया
बीती हैं कुछ ही रातें
सड़कें घर सब भीगे भीगे
रह रह होती बरसातें
है मौसम भूला राह
दबा उत्साह क्या होगा आगे
अन्ना दिशा गए भूल
छुपाए शूल इक रस्ता मांगे
शुरू हुआ एक साल नया
लाया चुनावी हलचल
नेता भटकेंगे गली गली
करेंगे सबकी मान-मुनव्वल
होगा सब कुछ वही
बात है सही काहे का रोना
पर लगे रहो मुन्ना भाई
नहीं है बुराई , अब न सोना
शुरू हुआ एक साल नया
अंदर-बाहर का खेल
कोई फंसा भंवरी के भंवर में
बड़े नित जाते जेल
सोच अपनी है यही
बात है सही उदास न रहना
बन जाएगी तक़दीर
है गर तदबीर प्रेम तुम सबसे करना ...
...रजनीश (08.01.2012)
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