Sunday, August 5, 2018

बारिश और टीवी

टीवी स्क्रीन पर
बार बार आ रहा है
ये मैसेज
देखिए कहीं बारिश
तो नहीं हो रही
आपके टीवी को सिग्नल
नहीं मिल रहा

बारिश के मौसम में
हर दिन की ये कहानी है
बिना टीवी के
सुबहो शाम अब बितानी है

स्क्रीन को ताकता  हूँ
इधर उधर से झांकता हूँ
कोई चित्र ही नही
कोई समाचार नही
कोई खबर नहीं
कोई बाजार नहीं

टीवी पर कुछ
दिखता ही नहीं
न घटना न दुर्घटना
न मरना न कटना
न झगड़ा न लड़ाई
न सास न भौजाई

आदत सी थी
हल्ले गुल्ले की
देखकर ये सब
भेजा घूम जाता था
नी तकलीफों से परेशान
और परेशान हो जाता था

देखता था ये सब
लगता है
थोड़े से सुकून के लिए
कि बाहर भी बड़ा गम है
नहीं गम सिर्फ मेरे लिए

अब हर रोज की बारिश का
असर नजर आ रहा है
घर पर शोर की जगह
शांति ने ले ली है
टीवी बंद रहता है
और  अब तो मजा आ रहा है
पहले दर्द बढ़ता जाता था
अब सुकून आ जाता है
जो टीवी पर जाया हो जाता था
वो वक्त काम आ जाता है

यूं ही होती रहे बारिश
ताकि टीवी बंद रहे
बुद्धू बक्से की रहे छुट्टी
घर में कुछ सुकून रहे

...रजनीश(05.08.18)

Friday, August 3, 2018

अच्छा-बुरा

हर वक्त चुप रहने से कुछ कह देना ही अच्छा
सिर्फ कहने को कुछ कहने से चुप रहना ही अचछा

सही वक्त के इंतजार में चला जाता है सारा वक्त
इंतजार करते रहने से तो चल निकलना अच्छा

हर वक्त भागमभाग है बैचेनी और बदहवासी
रुक के कुछ पल साथ खुद के बैठ लेना अच्छा

दिल का गाना बेसुरा नहीं जज्बात में डूबा होता है
घबराकर रुक जाने से तो गुनगुना लेना अच्छा

सच को सच सच कहना नामुमकिन तो नहीं मगर
सच बस कड़वाहट लाए तब झूठ बोलना अच्छा

                                        ...रजनीश (03.08.18)
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