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Friday, February 28, 2020

तलाश एक रास्ते की


कुछ दूर चला मैं
रास्ता अनजाना था 
लोग भी नए 
मौसम भी कुछ नया सा 

नए दरख़्त नई छांव
नई इमारतें नए गांव
रास्ता था मुझे चलना था 
रास्ते पर आगे बढ़ना था 

तो चलता गया 
मैं आगे बढ़ता गया
थका तो सुस्ता लिया 
कभी फिसला तो उठ गया
कभी रास्ता तो कभी लोग 
कभी मजबूरी कभी चाहत 
चलाते रहे मुझे 
मेरा चलना जारी था

फिर लगा इस रास्ते में तो 
बहुत से गड्ढे हैं चाल भी धीमी
पहुंच ही नहीं रहा कहीं 
लगा  गलत चुन लिया रास्ता 
 सोचा फिर से शुरू करूं
 इसे भूलूं कुछ बेहतर करूं 
 ढूंढ़ कर रास्ते का नया सिरा 
फिर वहीं से जहां से चला था 
 पर न मैं अब वो था
 न ही रास्ता वो था
 बदले से दरख्त बदली सी छांव
 बिगड़ती इमारतें बदला सा गांव 
 रास्ता भटकन से भरा 
 रास्ते में गड्ढे नहीं पर घुमाव थे
 तो बात बन न सकी
 फिर से शुरुआत हो न सकी

फिर वही पशोपेश
फिर वही चाहत
फिर वही उधेड़बुन
फिर वही तलाश

फिर ढूंढ़ता हूं एक रास्ता

........रजनीश (२८. फ़रवरी २०२०)

Wednesday, November 23, 2011

तलाश

 2011-10-30 11.39.48
ढूँढते थे तुमको हर कहीं
हर रास्ता हर एक गली
हरदम लगा  कि  तुम हो
पर तुम मिले कहीं नहीं

गुम गईं सारी मंज़िले
भटकते रहे हर डगर  
बदले कई आशियाने
चलता रहा सफ़र

तलाश उसकी हर कहीं
अब अपनी हो चली
ढूँढते हैं खुद को हम
क्या आसमां क्या जमीं
....रजनीश (23.11.2011)
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