सुकूँ से बैठ किताबों
संग, जब भी होता वक्त बिताना
पर कितनी बदल
गयी दुनिया, बदल गए सबके हाल
जहां होती थी
लाइब्रेरी, आजकल वहाँ है इक मॉल
हुई किताबें सब
ऑनलाइन, जब से आया अंतर्जाल
घर बैठे “ज्ञान”
गुगलियाते, बदल गई अपनी चाल
संचार और सूचना
का ये “आभासी” ज़माना है नया
आमने-सामने बैठ
गम बांटने का ज़माना अब गया
“अंतर्जाल”
बिन अधूरा और “एलियन” ये सारा वर्ल्ड
अंतर्जाल पर
हैं हम, गर हो “आई-डी” और “पासवर्ड”
दुनिया है अपनी
मुट्ठी में जब से हाथ में मोबाइल
“डिजिटल” हुआ ज़माना
वज़ूद बन गया “प्रोफ़ाइल”
बाई मिस कॉल दे
बताती है, काम पर नहीं आएगी
डरते हैं
आनलाइन शॉप कर, पत्नी क्या घर ले आएगी
लगा करते थे पहले
लाइन में, अब ऑनलाइन हो गए
बदल गई हमारी शख़्सियत, अंतर्जाल
में ज्वाईन हो गए
ऑनलाइन टिकटें
बुक , करते व्यापार ऑनलाइन
ऑनलाइन स्टेटस
अपडेट , करते प्यार ऑनलाइन
अंतर्जाल पर
है दुनिया, अब तो सब कुछ ही वहीं
अपना “फेस” भी
वहीं , अपनी “बुक” भी अब वहीं
अन्तर्जाल की
सब माया, डिजिटल का सब पर साया
वो भीड़ में भी
अकेला, जो अंतर्जाल से जुड़ न पाया
पाषाण से इन्फॉर्मेशन-युग
की, यात्रा है हमारा प्राइड
हों सवार सब एक
नाव में, ख़त्म हो जाए “डिजिटल-डिवाइड”
............रजनीश (17.05.2013)
सूचना , संचार और डिजिटल क्रांति पर विशेष
यू-एन द्वारा 17th May
-
World Information Society Day घोषित किया गया है ।
World Information Society Day घोषित किया गया है ।
2006 के पहले 17th मई वर्ल्ड टेलेकम्यूनिकेशन
डे कहलाता था ।
इसके मुख्य उद्देश्यों में सामाजिक
परिवर्तन में इंटरनेट (अंतर्जाल) और
नई तकनीकों की भूमिका के संबंध में जागरूकता बढ़ाना
और
डिजिटल-डिवाइड कम करने की दिशा में सहयोग प्रदान
करना है ।
(विकीपीडिया से साभार)
(विकीपीडिया से साभार)