अब सूरज को
रोज ग्रहण लगता है
सूरज लगता है निस्तेज
सूरज की किरणों पर तनी
इक चादर मैली सी
जिसे ओढ़ रात को चाँदनी भी
फीकी होती दिन-ब-दिन
धुंध की चादर फैली
सड़कों गलियों से
जंगलों और पहाड़ों तक
कराती है एहसास
कि हम विकसित हो रहे हैं ...
....रजनीश (29.11.15)
दीवाली
जब आ रही थी
तो हर गली -मोहल्ले
हर घर-चौराहे
कहीं भी खड़े हो
सुन सकता था आहट
कि आ रही थी दीवाली
हवा में मीठी महक
हर चेहरे में थी ललक
हर कहीं रोशनी की चमक
हर दिन तेज होती पटाखों की धमक
रंगोली के रंग सजा
हर घर का दरवाजा
करता था इशारा
कि आ रही है दीवाली
फिर दीयों की लड़ियाँ लिए
हाथ में फुलझड़ियाँ लिए
लक्ष्मी को संग लिए
खुशियाँ उमंग लिए
आ गई दीवाली
कब से इंतज़ार था
मन में खुमार था
कब से दिल तैयार था
तो खूब जिया दीवाली
स्वागत में लक्ष्मी के
दिये जले
पटाखे चले
मिठाई बंटी
गले मिले
फिर सो गया थक कर
मैं क्या सारा शहर
पटाखों की गूंज
घुस गई सपनों में
धीमी होकर
खत्म हुआ तेल
सो गए दिये बुझकर
हवा में बसी बुझे दीयों की गंघ
और बेहिसाब चले पटाखों का धुआँ
नींद खुली सुबह तो एहसास हुआ
कि जा चुकी थी दीवाली
मुझे लगा था कुछ दिन तो रहेगी
कितनी तैयारियां की थीं
कितना इंतज़ार किया था
और अब हर गली मोहल्ले
हर घर चौराहे में चीखते निशान
कि जा चुकी थी दीवाली
आखिर रुकती क्यों नहीं
कुछ दिन थमती क्यों नहीं दीवाली
शोहरत से नहीं पैसों से भी नहीं
शायद न ऐसी हमारी किस्मत
और ना ही ऐसी फितरत
ऐसा हमारा दिल ही नहीं
हम ही नहीं रोकते उसे
हर दिन हर हाल में
हम नहीं मना सकते दीवाली
और हर साल चली जाती है दीवाली
शुक्र है कि हर साल आ जाती है दीवाली
और गर दिल से बुलाओ तो
किसी भी दिन आ जाती है दीवाली
....रजनीश (22.11.15)
[1] inflation
त्यौहारों के मौसम में पंचतारा रेसिपी बेमिसाल
सरसों तेल में प्याज के तड़के वाली अरहर दाल
[2] Election
किसी को लगा चूना, कोई गया चुना
डूबी कहीं नैया और पार कहीं नाव
बिहारी या बाहरी , बहार या बाहर
छोड़ो भी ये सब,अब हो गया चुनाव
[3] Diwali
नकली मिठाई हुए महंगे पटाखे
क्या मनेगी दिवाली सूखे दिये जला के
[4] Diwali
खूब की थी रोशनी फिर बस मकां रह गया
खूब चले थे पटाखे अब सिर्फ़ धुआं रह गया
[5] World Internet Day 29th Octber
अंतर्जाल का दुनिया भर में फैला मायाजाल
कुछ ही पलों में नेट बिना होता हाल बेहाल
[6] World Thrift Day 30th october
बचपन की गुल्लक है साथ अब भी
सिक्के और यादें भरा इक खिलौना
जतन से इसी के सीखा था मैंने
बचाना बढ़ाना और सपने संजोना
[7] Run for Unity 31st October
आज देश के लिए दौड़ें
साथ वैमनस्य का छोड़ें
ना भूलें सदभावना सहिष्णुता
दिल से दिल को भी जोड़ें
..रजनीश (13.11.15)
पुनः पधारकर अनुगृहीत करें .....