एक चश्मा
एक लाठी
एक धोती
एक घड़ी
एक जोड़ी चप्पल
एक दुबली पतली काया
एक विशाल व्यक्तित्व
एक सिद्धान्त
एक विचार
एक विशिष्ट जीवन
एक दृष्टा
एक पथ प्रदर्शक
एक रोशनी
एक क्रांतिकारी
एक महामानव
एक महात्मा
...
आज फिर है सपनों में
उसे लौटना होगा
फिर बनाना होगा थोड़ा नमक
कुछ सूत कातना रह गया है बाकी
एक और यात्रा शेष
सत्य के साथ एक और प्रयोग
उस जैसा कोई नहीं
जो पीर पराई जाने
...रजनीश ( 2 अक्तूबर गांधी जयंती पर )