Monday, January 26, 2015

हम हैं गणतन्त्र ...

हम हैं गणतन्त्र
संप्रभुता सम्पन्न
समाजवादी है मन
धर्मनिरपेक्ष लोकतन्त्र
हम हैं गणतन्त्र

हम हैं आजाद
उड़ें ऊंचे आकाश
हो सबका विकास
प्रगति बने मंत्र
हम हैं गणतन्त्र

है स्वर्णिम इतिहास
संस्कृति है पास
विश्व अपना कुटुंब
सबसे प्रेम बने मंत्र
हम हैं गणतन्त्र

निर्धन का उत्थान
नारी को मिले स्थान
जय जवान जय किसान
युवाशक्ति बने मंत्र
हम हैं गणतन्त्र

विज्ञान का प्रसार
ज्ञान का संचार
सदी 21वीं हमारी
हो मजबूत अर्थतन्त्र
हम हैं गणतन्त्र

             ......रजनीश ( 26.01.15 )


गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ 

Sunday, January 25, 2015

चलो कुछ लिखा जाए


जुबां पर लफ्ज जब रुक जाएँ
तो आए लिखने का मौसम
दिल को एक खयाल जब सताए
तो आए लिखने का मौसम
जब कोई ज़ख्म कुरेद जाए
तो आए लिखने का मौसम
वो जाम आँखों से जब पिलाए
तो आए लिखने का मौसम
जब एक लम्हा ठहर जाए
तो आए लिखने का मौसम
जब वक्त से बिछड़ जाएँ
तो आए लिखने का मौसम
जब मनचाहा मिल ना पाए
तो आए लिखने का मौसम
जब एक हसरत पूरी हो जाए
तो आए लिखने का मौसम
दिल में जब तनहाई उतर आए
तो आए लिखने का मौसम
दिल से जब दिल मिल जाए
तो आए लिखने का मौसम

...........रजनीश (25.01.15)

Saturday, January 24, 2015

दरअसल ....



















था न कोई उस राह , पर इंतजार हम करते रहे
उनको हमसे नफ़रत सही , पर प्यार हम करते रहे    

वक़्त की ख़िदमत में , अक्ल-ओ-दिल से लिए फैसले
और किस्मत के नाम , हर अंजाम हम करते रहे

रिश्ता निभाने खुद को भुला देने से था परहेज़ कहाँ  
बस रिश्ता बनाने का जतन हम करते रहे

बसा जो दिल में था उसे क्या भूला क्या याद किया  
बस खोए हुए दिल की तलाश हम करते रहे

क्या कहें क्या अफसाना क्या मंज़िल क्या ठिकाना
बस एक सफ़र की गुजारिश हम करते रहे

............रजनीश (24.01.15)

Thursday, January 22, 2015

आज का मौसम

घट रही पेट्रोल की कीमत यारा धीरे धीरे
लॉन्ग ड्राइव पर चलें अब तो हर दिन शाम सबेरे

जनता मांगे है नेता जो करें देश की सेवा
नेता मांगे है सत्ता ताकि मिले कैश और मेवा

बता धर्म को खतरा, डालते क्यों लोगों में फूट
धर्म की आड़ में बैठकर क्यों रहे जनता को लूट
                             ..........रजनीश ( 22.01.15)


Thursday, January 1, 2015

नया वर्ष नई कविता

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नए वर्ष में नई उमंगे
नए गीत नई खुशियाँ बरसे
नई मंज़िलें नए रास्ते
कदम कदम मन सबका हरसे

सपने हो जाएँ साकार
सफलता के नव द्वार खुलें
मिट जाए अंधकार
चहुं ओर प्रेम के दीप जलें

नए वर्ष में नए तराने
सभी हृदय एक ताल में थिरकें
गुनगुनाएँ खुशियों के गाने
बढ़े चलें सब साथ में मिलके

आशाओं को दें जीवन
पाएँ रिश्तों में ऊँचाइयाँ मिलके
जो बीत गई सो बात गई
जो खोया उससे सीखें मिलके

नए बर्ष में नई उमंगे
नए गीत नई खुशियाँ बरसे
नया जोश और नई तरंगे
कोई हृदय ना प्यासा तरसे ....
..... रजनीश (01.01.2015)
नववर्ष 2015 की हार्दिक शुभकामनाएँ ....
पुनः पधारकर अनुगृहीत करें .....