Showing posts with label तरंग. Show all posts
Showing posts with label तरंग. Show all posts

Thursday, January 1, 2015

नया वर्ष नई कविता

.















नए वर्ष में नई उमंगे
नए गीत नई खुशियाँ बरसे
नई मंज़िलें नए रास्ते
कदम कदम मन सबका हरसे

सपने हो जाएँ साकार
सफलता के नव द्वार खुलें
मिट जाए अंधकार
चहुं ओर प्रेम के दीप जलें

नए वर्ष में नए तराने
सभी हृदय एक ताल में थिरकें
गुनगुनाएँ खुशियों के गाने
बढ़े चलें सब साथ में मिलके

आशाओं को दें जीवन
पाएँ रिश्तों में ऊँचाइयाँ मिलके
जो बीत गई सो बात गई
जो खोया उससे सीखें मिलके

नए बर्ष में नई उमंगे
नए गीत नई खुशियाँ बरसे
नया जोश और नई तरंगे
कोई हृदय ना प्यासा तरसे ....
..... रजनीश (01.01.2015)
नववर्ष 2015 की हार्दिक शुभकामनाएँ ....
पुनः पधारकर अनुगृहीत करें .....