राह तो बस राह है
उसे आसां या मुश्किल बनाना
इंसान का खेल है
तकदीर तो बस तकदीर है
उसे बिगाड़ना या बनाना
इंसान का खेल है
पत्थर तो बस पत्थर है
पत्थर को भगवान बनाना
इंसान का खेल है
फूल तो बस फूल है
फूल सेज़ या सिर पर चढ़ाना
इंसान का खेल है
यार तो बस यार हैं
यार को जात रंग में ढालना
इंसान का खेल है
चाहत तो बस चाहत है
उसे प्यार या नफ़रत बनाना
इंसान का खेल है
दीवारें तो बस दीवारें हैं
उनसे घर या कैदखाने बनाना
इंसान का खेल है
आग तो बस आग है
आग में जलना जलाना
इंसान का खेल है
पैसे तो बस पैसे हैं
उन्हें कौड़ी या खुदा बनाना
इंसान का खेल है
धरती तो बस धरती है
इसे ज़न्नत या जहन्नुम बनाना
इंसान का खेल है
इंसान तो बस इंसान है
उसे हिन्दू या मुसलमान बनाना
इंसान का खेल है
......रजनीश (03.03.2013)