(हाइटेक जमाने पर मेरे लिखे कुछ पुराने शेर.... )
(1)
मेरी दोस्ती पर, इतना एतबार करिए,
गर मिस करते हैं , मिस्ड कॉल करिए !
(2)
हैं वो सामने, उनकी बेरुख़ी को क्या कहिए ...
हमसे कहते हैं कि 'कवरेज़ एरिया' से बाहर हो !
(3)
अब उसके दर तक, कोई रास्ता नहीं जाता ,
अफसोस कि वो 'नंबर' अब मौजूद नहीं हैं ...
(4)
ये दिल है बेकरार , कहीं लगता नहीं ,
बोर ये होता है, जां 'रिमोट' की जाती है...
(5)
हर बार की तरह, वो कल भी मुझसे रूठ गया,
उसे मनाने मैंने, फिर से एसएमएस किया...
(6)
कभी दिखा नहीं, पर होगा वो चाँद सा मुखड़ा ,
एक आरजू है दिल में , हम 'चैट' किया करते हैं ...
(7)
दिल की आवारगी भी क्या-क्या जतन करती है ,
उसने मोबाइल में दो-दो 'सिम' लगा रक्खा है ...
(8)
खो गए थे वो, इस दुनिया की भीड़ में कहीं,
फ़ेस-बुक ने वो हाथ, मेरे हाथों पे रख दिया ...
(9)
सुना था उसकी दुनिया में, चिड़िया चहकती है,
पर यहाँ , दोपाया इंसान ट्वीट करता है ...
.....रजनीश (18.02.2011)
अगर पसंद आए तो बाकी फिर कभी !!
6 comments:
bhai wah...kyaa baat hai Rajneesh...subah-subah hansaane ke liye thank you:):)
वाह। क्या बात है। सुंदर।
वाह, बहुत ही रोचक शैली रही।
bahut hi behtarin aur majedar hai..
sundar prastuti...
bahut hi behtarin aur majedar prastuti...
sundar...:-)
i liked the 1st one a lot.
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