Tuesday, December 27, 2011

बदलता हुआ वक़्त


महीने दर महीने 
बदलते कैलेंडर के पन्ने 
पर दिल के कैलेंडर में 
 तारीख़ नहीं बदलती  

भागती रहती है घड़ी 
रोज देता हूँ चाबी 
पर एक ठहरे पल की 
किस्मत नहीं बदलती   

बदल गए घर 
बदल गया शहर 
बदल गए रास्ते 
बदला सफर 

बदली है शख़्सियत
ख़याल रखता हूँ वक़्त का 
बदला सब , पर वक़्त की 
तबीयत नहीं बदलती 

कुछ बदलता नहीं 
बदलते वक्त के साथ 
सूरज फिर आता है 
काली रात के बाद 

उसके दर पर गए 
लाख सजदे किए 
बदला है चोला पर 
फ़ितरत नहीं बदलती

क़यामत से क़यामत तक 
यूं ही चलती है दुनिया 
चेहरे बदलते हैं पर 
नियति नहीं बदलती ...
रजनीश (27.12.2011)
एक और साल ख़त्म होने को है पर क्या बदला , 
सब कुछ तो वही है , बस एक और परत चढ़ गई वक़्त की ....

19 comments:

Anupama Tripathi said...

fitrat nahin badalti ....
sunder rachna ..
bahut sahi likha hai ...!!

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 28-12-2011 को चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ

Anita said...

यूँ देखा जाये तो पल पल में सब कुछ बदल रहा है.. ऊपर ऊपर से लगता है कुछ नहीं बदला पर गहराई में देखें तो कुछ भी स्थिर नहीं है..नए वर्ष की शुभकामनाएँ!

मेरा मन पंछी सा said...

sab badal jata hai chehare or niyat nahi badalte...
wahhh..
bahut khub sir...
happy new tear....

Anonymous said...

nice lines.

vidya said...

वाह...
बहुत अच्छी रचना...एक दम सटीक...

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सटीक कहा है ..फितरत नहीं बदलती .. अच्छी प्रस्तुति

Anonymous said...

बहुत सुन्दर...सच है इस बदलती दुनिया में क्या है जो टिकता है........आखिरी पंक्तियाँ बहुत सुन्दर लगी|

सदा said...

सार्थक व सटीक कहा है आपने इस अभिव्‍यक्ति में ।

रेखा said...

सही ,सटीक और सार्थक प्रस्तुति ...

Monika Jain said...

bahut achchi rachna :)

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) said...

बदली है शख्सियत........तबीयत नहीं बदली, वाह!!!!! रजनीश जी, क्या बात कह दी...

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत ही बढ़िया सर!


सादर

www.navincchaturvedi.blogspot.com said...

वाह, सुंदर प्रस्तुति, मज़ा आया इसे पढ़ कर
बधाई

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

वाह! बहुत अच्छी रचना....

Sunil Kumar said...

आपकी यह रचना सच्चाई से रुबुरु करवाती हैंलेकिन सब कुछ बदलते हैं यह एक प्रकृति का नियम है

Onkar said...

bahut sundar rachna

Dr.NISHA MAHARANA said...

bilkul sahi n satik bat kavita ke madhayam se.

dinesh aggarwal said...

चेहरे बदलते हैं पर नियत नहीं बदलती।
व्यवहारिक कल्पना, सार्थक रचना।
बधाई,,,,,,,,,

पुनः पधारकर अनुगृहीत करें .....