Wednesday, October 24, 2012

रावण दहन

साल दर साल
हम करते हैं दहन
एक पुतले का
नाम दिया है जिसे रावण

लीला का मंच सजा
बना देते किसी को राम
जो अंत में करता है
रावण का काम तमाम

हर साल बढ़ती जाती
पुतले की ऊंचाई
जलाते हर साल
पर मिटती नहीं बुराई

पैदा हो जाता है
हर चिंगारी से एक रावण
क्यूँ है नाभि में अमृत अब भी
ढूंढो इसका कारण

दरअसल राम हैं अंदर
और है साथ में रावण
पर विभीषण नहीं बताता
अमरत्व का कारण

जब झांकोगे भीतर
और ढूंढोगे कारण
तब बंद होगी पुनरावृत्ति
और मर जाएगा रावण ...

रजनीश (24.10.2012)
विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ ...


10 comments:

Vandana Ramasingh said...

हर साल बढ़ती जाती
पुतले की ऊंचाई
जलाते हर साल
पर मिटती नहीं बुराई ...

सच है और चिंतनीय भी

देवेन्द्र पाण्डेय said...

इस बात को बहुतों ने कहा लेकिन आपने सुंदर शब्दों में अभिव्यक्त किया।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सटीक बात .... अपने अंदर ही कारण ढूँढना पड़ेगा

प्रवीण पाण्डेय said...

विचार विचार से ही जीते जाते हैं..

रश्मि प्रभा... said...

vibhishan nahi bata sakta us amratw ko

kuldeep thakur said...

जब झांकोगे भीतर
और ढूंढोगे कारण
तब बंद होगी पुनरावृत्ति
और मर जाएगा रावण ...
सुंदर भाव... कभी आना... http://www.kuldeepkikavita.blogspot.com

vijai Rajbali Mathur said...

ऋतु परिवर्तन के समय 'संयम 'बरतने हेतु नवरात्रों का विधान सार्वजनिक रूप से वर्ष मे दो बार रखा गया था जो पूर्ण वैज्ञानिक आधार पर 'अथर्व वेद 'पर अवलंबित था।नौ औषद्धियों का सेवन नौ दिन विशेष रूप से करना होता था। पदार्थ विज्ञान –material science पर आधारित हवन के जरिये पर्यावरण को शुद्ध रखा जाता था। वेदिक परंपरा के पतन और विदेशी गुलामी मे पनपी पौराणिक प्रथा ने सब कुछ ध्वस्त कर दिया। अब जो पोंगा-पंथ चल र
हा है उससे लाभ कुछ भी नहीं और हानी अधिक है। रावण साम्राज्यवादी था उसके सहयोगी वर्तमान यू एस ए के एरावन और साईबेरिया के कुंभकरण थे। इन सब का राम ने खात्मा किया था और जन-वादी शासन स्थापित किया था। लेकिन आज राम के पुजारी वर्तमान साम्राज्यवाद के सरगना यू एस ए के हितों का संरक्षण कर रहे हैं जो एक विडम्बना नहीं तो और क्या है?

Onkar said...

वाह, बहुत सुन्दर

रचना दीक्षित said...

और रावण मर गया.

सुंदर रचना.

अनुभूति said...

आज अजब ये तमाशा देखा
रावण को जलाते रावण देखा..
बेहद भाव पूर्ण सोचने को विवश करती अभिव्यक्ति........... शुभकामनाएं !!

पुनः पधारकर अनुगृहीत करें .....