बस जाने वाला है इक साल
बस आने वाला है इक साल
चढ़ गई एक और परत
वक़्त की हर तरफ़
कुछ सूख गए पेड़ों और
कुछ नई लटकती बेलों में
बस कुछ खट्टी मीठी यादें
बाकी सब , पहले जैसा ही हाल
बस जाने वाला है इक साल
बस आने वाला है इक साल
एक बारिश सुकून की
धो गई कुछ ज़ख़्म इस बरस
कुछ अरमान ठिठुरते रहे
कड़कड़ाती ठंड में सहमे
चढ़ते उतरते रहे मौसम के रंग
जवाबों में फिर मिले कुछ सवाल
बस जाने वाला है इक साल
बस आने वाला है इक साल
....रजनीश (16.12.2012)
9 comments:
साल दर साल बीतते हैं और ज़िंदगी बिताती जा रही है ... सुंदर प्रस्तुतीकरण
रजनीश जी बहुत सुंदर और गंभीर भावपूर्ण कविता.
आने वाले साल का स्वागत करती और बीते साल का लेखाजोख लेती हुई.
बहुत भावपूर्ण और प्रभावी रचना...
बेहतरीन अभिव्यक्ति.....
सवाल और सवाल,
निकल गया साल।
बहुत ख़ूब!
आपकी यह सुन्दर प्रविष्टि कल दिनांक 17-12-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-1096 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
bahut umda
चमकेगा अब गगन-भाल।
आने वाला है नया साल।।
आशाएँ सरसती हैं मन में,
खुशियाँ बरसेंगी आँगन में,
सुधरेंगें बिगड़े हुए हाल।
आने वाला है नया साल।।
बहुत सुन्दर रचना
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