क्या है जीवन ?
हर घड़ी साँसे लेना
ताकि प्राण रहे…
रक्त में शक्ति प्रवाहित हो
क्या है जीवन ?
हर दिन खाना
ताकि रक्त बने
अस्थि मज्जा पोषित हो…
क्या है जीवन ?
हर दिन काम करना
ताकि अंग-प्रत्यंग स्फूर्त हों
क्या है जीवन ?
हर दिन विश्राम
ताकि शरीर तरोताजा रहे
हर दिन ध्यान
ताकि चित्त शांत रहे…
क्या है जीवन?
अपने अस्तित्व की रक्षा
और अपना पुनरुत्पादन…
क्या यही है जीवन ?
क्या इतना सरल और सीधा है समीकरण ?
लगता तो है , पर लगता है
ये है नहीं ऐसा ...
क्या है जीवन ?
मस्तिष्क का विकास ?
जीवन में मस्तिष्क का आगमन ...
जीवन में मस्तिष्क का आगमन ...
और जीवन से बड़ी होती गई
जीवन की राह
अस्तित्व की रक्षा से बड़ा होता गया
अस्तित्व का प्रश्न ...
जीवन की राहों से
जीवन तक पहुँच पाना
कठिन होता गया
साध्य से ज्यादा हो गया
साधन का महत्व ...
मस्तिष्क का विकास ?
और वास्तविक अर्थों पर चढ़ गया
तर्क , कल्पना , भ्रम, लालसा
भय और महत्वाकांक्षा का मुलम्मा
धीरे-धीरे अस्तित्व की लड़ाई में
मस्तिष्क ने सब कुछ
क्लिष्ट और दुस्साध्य बना दिया
क्या यही है जीवन ?
और विकास के इन सोपनों पर
जीवन की परिभाषा
एक अबूझ पहेली बन गई ...
एक अबूझ पहेली बन गई ...
...रजनीश (
08.07.2013)
9 comments:
जीवन का विश्लेषण करती उम्दा रचना
बहुत बढ़िया
बेहतरीन रचना....
अनु
lajabab behtareen......
sundar :)
बहुत ही सहज शब्दों में कितनी गहरी बात कह दी आपने..... खुबसूरत अभिवयक्ति....
ओशो कहते है .....जन्म मिलता है, लेकिन जीवन खोजना पड़ता है !
काश यही बस ज्ञात हमें है,
क्या है जीवन, राह कहाँ है?
a famous quote -life can be summed up in 3 words..
It goes on :) .
your post just reflected that.. between all this clutter and gibberish.. we keep going
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