सोचता हूँ
तुम्हें लिख दूँ
एक कविता में,
पर पहली-पहली कुछ लाइनें
मुझसे कोरी ही रह जाएंगी,
और कुछ आखिरी
लाइनें मैं जानता नहीं
पर इतना जानता हूँ
वो नहीं समाएंगी इस पन्ने में,
और बीच में बस
पहली और आखिरी
लाइनों की दूरी बयां होगी,
अगर लिखूँ तो
बहुत सी लाइनें तो कटी हुई मिलेंगी तुम्हें
और जो शब्द बच गए
पता नहीं
कब तक रुकेंगे
लाइनों पर,
बहुत से शब्द तो मेरे पास नहीं
तुमने ही रखे हैं,
और पन्ना भी
बस एक ही है मेरे पास...
...रजनीश (19.04.11)
14 comments:
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (21-4-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
कोमल भावनाओं की सुन्दर अभिव्यक्ति ...
हार्दिक बधाई....
बहुत से शब्द तो मेरे पास नहीं
तुमने ही रखे हैं......behad bhawpurn,bahut achchi lagi.
गहन भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति ...
bhavon ki komal abhivyakti ...
sunder rachna .
aapki alikhit kavita ek likhit dastavej ban rahi hai .saral shabd chayan prabhavkari hain ,sunder kathy,
va rachana . shukriya ji .
उनके पास रखे शब्द और खाली पंक्तियाँ ...
बन तो गयी एक कविता , कहा रही अलिखित ...
बहुत कह गयी ये अनकही !
कोमल भावों से सजी रचना ..एक ही पन्ना काफी है लिखने के लिए ..
बेहतरीन लिखा है ......नि:शब्द कर दिया !
बहुत से शब्द तो मेरे पास नहीं
तुमने ही रखे हैं,
और पन्ना भी
बस एक ही है मेरे पास... aur us ek panne me bahut kuch hai
bhut gahraayi hai apki rachna me...
komal ehsaso bhari rachna.
Subhan allah... Likhte rahe isi tarah.. Sir jab kabhi wakt mile to humare blog bhi padhare... Kuch thoda bahut likhta hun , aap sb ka ashirwad chahiye bs... Naya hun. avinash001.blogspot.com
Beautiful thoughts you have presented amazingly....
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