Saturday, August 31, 2013

तू जब भी मुझसे मिले ...


तू जब भी मुझसे मिले ऐसे मिले
ज्यों रात चाँद चाँदनी से मिले
तू जब भी मुझसे...

हुई जब भी आहट तेरे आने की
पन्नों के बीच दबे फूल खिले
तू जब भी मुझसे...

तेरी आवाज़ जब भी सुनता हूँ
लगे है बंसरी को जैसे सुर हो मिलें
तू जब भी मुझसे...

जो फ़ासला था वो फ़ासला ही रहा
दो पटरियों की तरह संग चले
तू जब भी मुझसे...

तेरे खयाल जब भी दिल से बात करें
तेज़ बारिश हो आंधियाँ भी चलें

तू जब भी मुझसे मिले ऐसे मिले
ज्यों रात चाँद चाँदनी से मिले
........रजनीश ( 31.08.2013)

14 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

बहुत खूब, मन प्रभावित करती पंक्तियाँ

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत खूबसूरत रचना ॥

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

आपको भी हमारी टिप्पणी मिले...

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

क्या बात वाह!

Anita said...

प्रीत की रीत सिखाती सुंदर पंक्तियां...

Suman said...

bahut sundar rachana ....

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बहुत बढ़िया मन को प्रभावित करती प्रस्तुति,,,

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Onkar said...

सुन्दर रचना

Jyoti Mishra said...

lovely expressions..
kash sabhi aise hi milte aapas mein :)

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...


☆★☆★☆


तेरी आवाज़ जब भी सुनता हूं
लगे है बांसुरी को जैसे सुर हों मिले...

वाऽहऽऽ…!
आदरणीय रजनीश जी

सुंदर प्रेम गीत पढ़ कर आनंद आ गया...
साधुवाद !


हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार

Manjusha negi said...

बेहद सुंदर ...रचना..

विभूति" said...

भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....

Kailash Sharma said...

बेहतरीन प्रस्तुति...

Ranjana verma said...

बहुत खुबसूरत भावयुक्त रचना!!

पुनः पधारकर अनुगृहीत करें .....