जाना मेरी जाना ...प्याज लाया तेरा दीवाना
…बता ....बता अरे कैसा आ गया ये जमाना
हम ...मारे हैं प्याज के , मांगे सब की खैर ....
प्याज के आँसू आज रो रहे , क्या अपने क्या गैर .....
ले ले प्याज ले , प्याज ले, प्याज ले रे ...
हमसे प्याज ले
दुनिया वाले कुछ भी समझें, हम तेरे दीवाने
खुद न खा सकें , पर तुझे खिलाएँ, गा
के प्रेम तराने
ले ले प्याज ले...
ले ले प्याज ले , प्याज ले, प्याज ले रे ...
हमसे प्याज ले
यूं तो हम हैं रोज ही खिचड़ी सब्जी रोटी खाते
पर साथ प्याज नहीं होता...आज तुझे बतला दें
बिना प्याज का खाना हरदिन हम मजबूर हैं खाते
तुझे चाहते, तेरे लिये बचाते जो मुश्किल से लाते
ले ले प्याज ले ...
ले ले प्याज ले , प्याज ले, प्याज ले रे ,
हमसे प्याज ले
प्याज गरीबों का था खाना खाते वो नसीब के मारे
पर प्याज सेब पर भारी पड़ गया ...कोई इसे बचा ले
जमाखोरों की पौ बारह हुई , प्याज रखें धन बरसे
अरे तोड़ दो ताले गोदामों के , कोई घर ना प्याज को तरसे
ले ले प्याज ले ...
ले ले प्याज ले , प्याज ले, प्याज ले रे ,
हमसे प्याज ले...
..........रजनीश (29.10.2013)
2 comments:
बहुत सुंदर सटीक प्रस्तुति ,,,
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जल्दी जाओ हाट को, छोड़ो सारे काज।
अब कुछ सस्ती हो गयी, लेकर आओ प्याज।।
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