Saturday, December 12, 2015

मौसम , माहौल और प्रदूषण

[1] ठंड का मौसम

छोटे हो गए दिन अब लंबी ठंडी रातें एक साल की बिदाई नए साल की बातें


[2] प्रदूषण और सम विषम

बारह बजने को हुए रात , बॉर्डर दिल्ली का किया पार अब करना कार से वापस घुसने दिनभर का तुम इंतज़ार


[3] प्रदूषण और सम विषम

तुम्हारी कार सम और मेरी है विषम, आज चलूँ मैं कल चलो तुम इस आज-कल में थोड़ा भ्रम थोड़ा गम ,क्या होगा प्रदूषण कम


[4] प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग

मत उड़ा हर फिक्र को तू धुएँ में मेरे यार खतरा है ग्लोबल-वॉर्मिंग का बन जा समझदार

[5] फ्रांस

दहली फिर मानवता देखो धमाकों और चीत्कारों से मिट न सकेंगे ये धब्बे काले दिल की रोती दीवारों से


.......रजनीश ( 12.12.15)

3 comments:

Onkar said...

सामयिक रचना

Anita said...

मौसम के मिजाज को दर्शाती सुंदर पंक्तियाँ..

डॉ. मोनिका शर्मा said...

Umda Panktiyan

पुनः पधारकर अनुगृहीत करें .....