Sunday, April 17, 2011

एक सपने की बात

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सपना तो बस सपना   होता है,
जैसा भी हो ये अपना होता है,
पर जो टूट जाये वो सपना कैसा..
पूरा सच हो जाये वो सपना कैसा..

सपना वही जो सपना ही रहे,
हरकदम जो तुम्हारे संग चले,
ना  टूटे , ना तोड़े , ना पूरा मिले,
साँसे दे तुम्हें, बढ़ाए हौसले..

लगो दिल से  सच करने उसे,
जो  कभी खत्म नहीं होता है,  
इंसानियत से जीना भी,
ऐसा ही सपना होता है ...
...रजनीश (17.04.11)

10 comments:

Shah Nawaz said...

बहुत बढ़िया... बिलकुल सही कहा... सपने तो सपने हैं...

Anupama Tripathi said...

इंसानियत से जीना भी,
ऐसा ही सपना होता है ...

sunder ,komal abhivyakti .

vandana gupta said...

आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (18-4-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

http://charchamanch.blogspot.com/

Sunil Kumar said...

पूरा सच हो जाये वो सपना कैसा..
बिलकुल सही कहा,बहुत सुंदर अभिव्यक्ति .

रचना दीक्षित said...

सपना तो फिर सपना ही है. सपनों को हकीकत में बदलने के लिए कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं. सुंदर कविता, आभार.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

इंसानियत से जीना भी,
ऐसा ही सपना होता है ..

आज इंसानियत बची ही कहाँ है ...अच्छी प्रस्तुति

Dr (Miss) Sharad Singh said...

सपने की प्रवृति और प्रकृति का बहुत सुंदर चित्रण ...बधाई

bilaspur property market said...

बहुत बढ़िया

सपने भी अजीब होते है .. होते हुए भी नहीं होते है

manish jaiswal
bilaspur

Anonymous said...

पूरा सच हो जाये वो सपना कैसा...
bahut khoob...

ana said...

bahut hu salike se likha hai aapne .....uttam sanvad

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