Friday, April 26, 2013

लीक से थोड़ा हटकर



सेब जब भी 
पेड़ से टूटकर गिरा
सबने उसे स्वीकारा 
वो हर बार जमीं पर मिला
 
पर ये देख एक हुआ बेहाल
उसने सेब से किया सवाल 
तुम नीचे ही क्यों हो आते 
तुम ऊपर क्यूँ नहीं जाते  
 
सेब का उत्तर था कमाल
हल हो गया था बड़ा सवाल
उस शख्स की सेब पर नज़र क्या गई
सेब फिर भी गिरते रहे पर दुनिया बदल गई ....
 
कितने सपने बुने
कितनी नज़्में लिखीं
सदियों गीतों में पंछी बन
उड़ने की हसरत दिखी  
 
फिर किसी ने सपना सच करने का बीड़ा उठाया 
जो कभी ना हुआ था वो करके दिखाया
ना उड़ पाने का मलाल
दिल पे ऐसा वार कर गया
उसने उड़कर ही दम लिया
और समुंदर पार कर गया.....
 
 पत्थरों से बनी आग
और शुरू हुई ये कहानी
हम इंसान, ईज़ाद करते गए
हमने  हार न मानी
गलतियों से सीखते गये
खुद को सुधारते गये
गुफाओं कन्दराओं से निकल
अपनी किस्मत संवारते गए
चाँद के उस पार भी पहुंचे हमारे कदम हैं
हुई खूब तरक्की हर तरफ हम ही हम हैं ....
 
कुछ पैदा करने की ललक
कुछ नया करने की चाहत
नई राह पर चलने की इच्छा
जवाब पाने की हमारी हसरत
ये रचनात्मकता नज़रिये में हो
तो हर परेशानी हल हो जाती है
लीक से हटकर जरा सोचें तो
पहाड़ों से भी राह निकल आती है
.........रजनीश ( 26.04.2013)
 
Creativity is allowing yourself to make mistakes. Art is knowing which ones to keep.
:: Scott Adams :: 
World Intellectual Property Day 26 अप्रेल को मनाया जाता है
यह वर्ल्ड इंटेलेक्चुवल प्रॉपर्टी ऑर्गनाइज़ेशन (WIPO) के द्वारा  2000 में शुरू किया गया है तथा इसका उद्देश्य है  to "raise awareness of how patents, copyright, trademarks and designs impact on daily life" and "to celebrate creativity, and the contribution made by creators and innovators to the development of societies across the globe" यह जानकारी विकिपीडिया से साभार



9 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

राह दिखती, पर राह से कोई राह निकाल ले वही अन्वेषक

vandana gupta said...

आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (27 -4-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
सूचनार्थ!

सु-मन (Suman Kapoor) said...

bahut achha lga aapke blog par aakar ..ab aana hota rahega

Manav Mehta 'मन' said...

badhiya

ANULATA RAJ NAIR said...

बहुत सुन्दर.....
बढ़ते रहें.........

अनु

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

हर नयी चीज़ की खोज या आविष्कार लीक से हट कर ही होता है .... स्ंदर रचना ।

Onkar said...

बहुत प्रेरक रचना

Nidhi said...

हम्म..बात में दम है

शिवनाथ कुमार said...

सच है यदि लीक से हटकर सोचें तो कुछ नया जरुर मिलता है
सार्थक रचना

पुनः पधारकर अनुगृहीत करें .....