बस एक दिन
कर दिया उसके नाम
जिसका एहसानमंद है
मेरा हर दिन
बस एक दिन
क्यूँ मनाता हूँ उसका उत्सव
जिसकी वजह से उत्सव
मेरा हर दिन
बस एक दिन
करता हूँ बखान जिसके वजूद का
जिसकी देन है मेरा वजूद
मेरा हर दिन
बस एक दिन
याद करता हूँ जिसकी शक्ति
उस ऊर्जा के सहारे है
मेरा हर दिन
बस एक दिन
उसका जो करता है सब पूरा
जिसके बिना अधूरा
मेरा हर दिन
बस एक दिन
आधी कायनात के लिए
जिसके साये में गुजरता
मेरा हर दिन
बस एक दिन ....
.....रजनीश (08.03.15).....
.........अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर
1 comment:
बहुत ही बेहतरीन लिखा है आपने,
अद्वितीय ....
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