है जिंदगी वही ,ज़िंदगी के मायने बदल गए,
हैं चेहरे वही पुराने पर आईने बदल गए॰
है सूरज वही है चाँद वही , है दिन वही है रात वही,
है दुनिया वही , पर दुनियादारों के मिजाज बदल गए॰
है साकी वही है शराब वही, है पैमाना औ मयखाना वही
है हमप्याला वही , नशे के पर अंदाज बदल गए॰
वही पैर वही जिस्म, वही ताकत वही हिम्मत,
है दौड़ का जज़्बा वही, पर दौड़ के मैदान बदल गए॰
है शोहरत वही, है शराफत वही, है इज्ज़त औ मोहब्बत वही,
कायम रही है मंजिलें पर रास्ते बदल गए॰
है सच वही है झूठ वही, है पुण्य वही है पाप वही,
है धरम औ इंसाफ वही, पर इनके तराजू बदल गए ,
.......रजनीश (13.12.93)
8 comments:
jindgi vahi hai par mayne badal gaye.bahut khoob achchi rachna.
है सूरज वही है चाँद वही , है दिन वही है रात वही,
है दुनिया वही , पर दुनियादारों के मिजाज बदल गए॰... parivartan nirantar
है सच वही है झूठ वही,है पुण्य वही है पाप वही,
है धरम औ इंसाफ वही,पर इनके तराजू बदल गए ,
यथार्थपरक बेहतरीन ग़ज़ल ...
सुन्दर भावाभिव्यक्ति ||
बधाई ||
First two lines so touching. Change is constant and the way it is making such emotionless is not a good sign for our social health.
वही पैर वही जिस्म, वही ताकत वही हिम्मत,
है दौड़ का जज़्बा वही, पर दौड़ के मैदान बदल गए॰
बहुत सुन्दर रचना ..
Bahut Khuub Likha hia Rajneesh ji. A very nice poetry blog. I am following your blog. You may like to follow mine.
Thanks
Barkha Dhar
http://dharbarkha.blogspot.com/2011/07/if-education-was.html
"hai darmiyaan vahi.... par fasle badal gaye"
rajnesshji.. first time on ur blog, padhke bahot maja aaya...
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