पढ़ा नहीं जाता, आंसुओं से लिखा पन्ना..
चखो कागज को , नमक का अंबार मिलेगा ....
महसूस नहीं होता, छूने से दिल का खालीपन..
भीतर उतरो , वहाँ सूना दरबार मिलेगा....
सुन नहीं सकते , कहकहों मेँ, दिल की धड़कन..
आँखों मेँ झांको , रोता हुआ प्यार मिलेगा ....
उजाड़ कहते हो, जिन टूटते खंडहरों को..
उधर से गुजरो , एक जिंदा संसार मिलेगा....
दूर बैठे हो क्यूँ ,मुंह फिराये हुए..
गले लगा लो, बिछुड़ा हुआ यार मिलेगा ....
नहीं मिलता वो, पत्थरों की बस्तियों में..
पूजो इंसान को, परवरदिगार मिलेगा ....
.......... रजनीश (08.01.11)
2 comments:
पूजो इन्सान को ,परवरदिगार मिलेगा .....
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....
उजाड़ कहते हो, जिन टूटते खंडहरों को..
उधर से गुजरो , एक जिंदा संसार मिलेगा....
लाजवाब लेखन कला का परिचय दे रही है आपकी ये प्रस्तुति. किसी एक बात का ज़िक्र नाइंसाफी होगी पूरी की पूरी पोस्ट ही बेहतरीन है.
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