आप इसे यहाँ मेरी आवाज में सुन सकते हैं ....
कुछ अहसास ऐसे होते हैं ....
जो रहते हैं बहुत दूर, शब्दों से ,
पर उन्हे छूने कहीं जाना नहीं होता,
बस यहीं खड़े ,
करना होता है बंद आंखे,
और वो खुद बंधे चले आते हैं ।
कुछ अहसास ऐसे होते हैं ....
जो नहीं रहते हैं अब यहाँ ,
पर मरते नहीं कभी, न बिछुड़ते हैं,
साल दर साल,
जब भी पलाश पर फूल खिलता है ,
वो खुद मिलकर चले जाते हैं ।
कुछ अहसास ऐसे होते हैं....
जो बंधते नहीं किसी धागे से,
जिनका एक चेहरा नहीं होता ,
बस दो पल फुर्सत के निकाल,
करनी होती है बातें आइने से,
वो खुद ही सामने उभर आते हैं।
कुछ अहसास ऐसे होते हैं....
जो कभी जनम नहीं पाते ,
जिनकी किलकारियाँ सुनाई नहीं देती,
ज़िंदगी की इस दौड़ में,
इससे पहले कि आ सकें ऊपर,
वो पैरों तले रौंद दिये जाते हैं ।
............रजनीश (09.01.11)
3 comments:
खूबसूरत अहसास पिरोये हैं आपने रजनीश भाई | ऐसे ही लिखते रहिएगा ...
bahut khubsurati se baya n kiya hai hasaso ko..........good
कुछ अहसास ऐसे होते हैं....
जो कभी जनम नहीं पाते ,
जिनकी किलकारियाँ सुनाई नहीं देती,
yah hui na bat bahut sundar ,badhai
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